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कामाख्या देवी: कौन है नीलपर्वतवासिनि?


कामाख्या देवी शक्ति एवं चमत्कार का दूसरा नाम है जिन्हें भारत सहित दुनियाभर के भक्तों द्वारा अत्यंत ही श्रद्धाभाव एवं आस्था से पूजा जाता है।  माता कामाख्या को सनातन धर्म में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जो अपने भक्तों की प्रत्येक मनोकामना पूरी करती है। 

 

कौन है कामाख्या देवी?

माँ कामाख्या, देवी या शक्ति के प्रमुख नामों में से एक है। माता कामाख्या एक तांत्रिक देवी हैं जिनका देवी काली एवं 'त्रिपुर सुन्दरी के साथ घनिष्ठ संबंध है। माँ कामाख्या से जुड़ीं कथा का विस्तृत वर्णन कालिका पुराण और योगिनी तंत्र में है। 

 

पूर्वोत्तर बंगाल एवं असम में कामाक्षी या शक्ति के पूजन का बड़ा महत्व है। असम के कामरूप जिले में कामाख्या देवी का प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थित है। कामाख्या माँ को तंत्र साधना की प्रमुख देवी माना गया है इसलिए किसी भी विशेष सिद्धि को प्राप्त करने के लिए तांत्रिक या अघोरी माँ कामाख्या का पूजन करते है। 

 

कैसे हुई कामाख्या देवी की उत्पति?

  • धार्मिक ग्रंथों में किये गए वर्णन के अनुसार, आदिशक्ति स्वरूपा माता सती के पिता दक्ष द्वारा यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान होने के कारण माँ सती ने क्रोधित होकर हवनकुंड में आत्मदाह कर लिया था। 
  • इसके पश्चात भगवान शिव माँ के मृत शरीर को हाथों में लेकर घूमते रहे थे तब भगवान विष्णु ने शिव जी का मोह भंग करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माँ सती के शरीर के अनेक टुकड़ें कर दिए। 
  • माता सती के ये अंग जहाँ-जहाँ धरती पर गिरे वहां कामाख्या शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। कामाख्या मंदिर के स्थान पर माता सती की योनि गिरी थी इसलिए देवी प्रतिवर्ष मासिकधर्म के चक्र से गुजरती है। इस शक्तिपीठ से जो देवी प्रकट हुई संसार में उन्हे ही "कामाख्या देवी" के नाम से जाना गया है।



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