कामाख्या देवी मंदिर हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है जो भारत के असम के गुवाहाटी में स्थित है। यह मंदिर आदिशक्ति के स्वरूप माँ कामाख्या को समर्पित है, साथ ही कामाख्या मंदिर दुनिया के सबसे प्राचीन एवं शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक है। कामाख्या मंदिर के बारे में अनेक कथाएं एवं अनसुने रहस्य हैं जो आज भी लोगों को नहीं पता है। आज हम आपको माँ कामाख्या देवी मंदिर के उन रहस्यों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में आपने कभी नहीं सुना होगा।
क्या है कामाख्या मंदिर के रहस्य?
कामाख्या मंदिर में देवी की कोई मूर्ति या चित्र स्थापित नहीं है, बल्कि यहाँ योनि रूपी शिला का पूजन किया जाता है।
कामाख्या मंदिर में किसी विशेष मनोकामना या इच्छा की पूर्ति के लिए कन्या पूजन एवं भंडारा करने की परंपरा है। भंडारे के अतिरिक्त मंदिर में पशुओं की भी बलि दी जाती ही हैं,लेकिन यहाँ मादा जानवरों की बलि देना निषेध है।
कामाख्या मंदिर के आसपास के क्षेत्र में निवास कर रहे साधु और तांत्रिक बड़े से बड़े चमत्कार करने में सक्षम होते हैं। मान्यता है कि यहां के तांत्रिक नकारात्मक शक्तियों एवं तंत्र-मंत्र को नष्ट करने में भी समर्थ होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि प्रतिवर्ष अम्बुबाची मेले के दौरान देवी कामाख्या वार्षिक मासिकधर्म के चक्र से गुजरती है। इस समय मंदिर में देवी का पूजन वर्जित होता है।
कामाख्या मंदिर को ब्रह्मांड का केन्द्र बिंदु माना जाता है, इसका कारण है कि महिला योनि को जीवन का प्रवेश द्वार माना गया है।
अम्बुबाची मेले के समय मिलने वाला प्रसाद देश के अन्य मंदिरों से भिन्न होता है। कामाख्या मंदिर में प्रसाद के रूप में देवी कामाख्या के रज में भीगा लाल कपडा यानि "कामाख्या वस्त्र" दिया जाता है।
कामाख्या मंदिर काला जादू और तंत्र-मंत्र संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
माता कामाख्या का पूजन भगवान शिव की नववधू के रूप में किया जाता है, जो मुक्ति को स्वीकार करती है और अपने भक्त की समस्त मनोकामनाओं को पूरा करती है।
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