असम की राजधानी दिसपुर के निकट गुवहाटी से करीब 8 किलोमीटर की दुरी पर नीलांचल पर्वत पर स्थित है कामाख्या मंदिर। यह मंदिर शक्ति की देवी माँ सती के स्वरूप कामाख्या देवी का मंदिर है। तंत्र क्रियाओं का प्रमुख स्थान होने के कारण तंत्र साधना में मंदिर का विशेष महत्व है।
51 शक्तिपीठों में से कामाख्या मंदिर को सर्वोच्च माना जाता है। अगर आप कामाख्या मंदिर जा रहे है तो आप देवी के दर्शन करने के अलावा कामाख्या मंदिर के पास स्थित अन्य मंदिरो के भी दर्शन जरूर करें।
यह नीलाचल पहाड़ियों के सबसे ऊपरी चोटी पर स्थित देवी भुवनेश्वरी को समर्पित एक मंदिर है। मंदिर से ब्रह्मपुत्र नदी का नजारा मनमोहक दिखाई देता है।
उमानंद भैरव का मंदिर, कामाख्या मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। इस मंदिर से जुड़ीं ऐसी मान्यता है कि अपनी समस्त कामनाओं की पूरा करने और कामाख्या यात्रा को पूरा करने के लिए देवी कामाख्या के दर्शन करने के बाद उमानंद भैरव के दर्शन भी अवश्य करने चाहिए, अन्यथा आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।
महाभैरव मंदिर का निर्माण नागा बाबा द्वारा करवाया गया था जो प्राकृतिक सौंदर्य एवं मनोहर दृश्यों के बीच पर्वतों पर स्थित है। इस मंदिर में मुख्यतः भगवान शिव का पूजन होता है। मान्यता है कि इस मंदिर का शिवलिंग संसार का सबसे बड़ा शिवलिंग है।
नवग्रह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे चित्रसिला हिल की चोटी पर स्थापित है। यह मंदिर काफी पुराना है और इस मंदिर में प्रवेश करने पर भक्तों को दिव्य शक्ति का अनुभव होता है। नवग्रह शांति पूजा करवाने के लिए नवग्रह मंदिर सर्वश्रेष्ठ है। इस मंदिर में नवग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हुए नौ शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर में प्रसाद के रूप में नवग्रहों सं संबंधित अनाज को पानी में भिगोकर दिया जाता है।